ASHTAVAKRA GITA
Joy of Self-Realization
Janaka said :
Joy of Self-Realization
Janaka said :
2.5
On reasoning, cloth is known to be just thread,
similarly all this world is self only.॥5॥
तंतुमात्रो भवेदेव
पटो यद्वद्विचारितः।
आत्मतन्मात्रमेवेदं
तद्वद्विश्वं विचारितम्॥२-५॥
पटो यद्वद्विचारितः।
आत्मतन्मात्रमेवेदं
तद्वद्विश्वं विचारितम्॥२-५॥
जिस प्रकार विचार करने पर वस्त्र तंतु (धागा) मात्र ही ज्ञात होता है, उसी प्रकार यह समस्त विश्व आत्मा मात्र ही है॥५॥
2.6
Just as the sugar made from sugarcane juice has the same flavor,
similarly this world is made out from me and is constantly pervaded by me.॥6॥
यथैवेक्षुरसे क्लृप्ता
तेन व्याप्तैव शर्करा।
तथा विश्वं मयि क्लृप्तं
मया व्याप्तं निरन्तरम्॥२-६॥
तेन व्याप्तैव शर्करा।
तथा विश्वं मयि क्लृप्तं
मया व्याप्तं निरन्तरम्॥२-६॥
जिस प्रकार गन्ने के रस से बनी शक्कर उससे ही व्याप्त होती है, उसी प्रकार यह विश्व मुझसे ही बना है और निरंतर मुझसे ही व्याप्त है॥६॥
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